नमस्कार मित्रों। आप सभी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं। हमारी वेबसाइट Brahmand Tak में आपका हार्दिक स्वागत है। आज हम Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024 के पावन अवसर पर महान हिन्दू हृदय सम्राट और मराठा गौरव chhatrpati Shivaji Maharaj जी के अद्भुत एवम अकल्पनीय वीरता और शौर्य से भरे जीवन के बारे में बताएंगे। Chhatrapati Shivaji Maharaj brahmand tak, Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti brahmand tak, 19 february, chhatrapati shivaji maharaj jayanti bt, singhgarh, raigarh, maratha, maratha gaurav, bhagwa, bt , chhatrapti shivaji maharaj bt, brahmand tak, Hindutva, bjp 2024, chhatrapati shivaji maharaj jayanti 2024, chhatrapati shivaji maharaj pic, chhatrapati shivaji maharaj hd pic download, chhatrapati shivaji maharaj jayanti pics
Chhatrapati Shivaji Maharaj
Chhatrapati Shivaji Maharaj |
श्रीमंत छत्रपति शिवाजी महाराज भारत राष्ट्र के एक महान गणनायक थे। उनका नाम भारतीय इतिहास के पन्नो में स्वर्णिम अक्षरों में अंकित है। छत्रपति शिवाजी महाराज अपने अदम्य साहस, वीरता, कूटनीतिक रण कौशल, एवम धर्मनिरपेक्ष शासन के लिए जाने जाते हैं। वे भारतभूमि के सबसे लोकप्रिय शासकों में से एक हैं। उन्होंने महाराष्ट्र में हिंदवी स्वराज की स्थापना की और स्वराज की ऐसी आग लगाई जिसने 17वीं सदी में पूरे भारत को फिर से भगवामय कर दिया। छत्रपति शिवाजी महाराज भगवान के अवतार तो नही हैं परंतु भारतीय जनमानस के लिए भगवान से कम भी नहीं हैं। उनका नाम लेते ही युवाओं के खून में उबाल आने लगता है, बच्चों का सिर फक्र से ऊंचा हो जाता है, विद्वान विनम्रता से इस महान विभूति के सामने नतमस्तक हो जाते हैं और योद्धा मौत के भय को मात देकर विकराल काल का रूप धारण कर लेते हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन अनंतकाल तक ना केवल भारतभूमि बल्कि संपूर्ण विश्व को प्रेरणा देता रहेगा।
Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2024
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेर दुर्ग में हुआ। उनके पिता शाहजी भोंसले और माता जीजाबाई थी। 19 फरवरी को पूरे भारतवर्ष में शिवाजी महाराज की जयंती बहुत धूम धाम से मनाई जाती है। महाराष्ट्र सरकार ने 19 फरवरी को राजकीय अवकाश घोषित कर रखा है। आज छत्रपति शिवाजी महाराज के जन्मोत्सव के अवसर पर हम उनके जीवन के बहुत ही रोचक और साहसिक किस्से बताएंगे।
1. 8 फूट के अफजल खां का वध
बाजीपुर के शासक आदिलशाह ने मराठों पर आक्रमण करने के लिए अफजल खान को 75000 सैनिकों के साथ भेजा। अफजल खान ने शिवाजी को शांति वार्ता के लिए निमंत्रण भेजा और शिवाजी अफजल खां से मिलने पहुंच गए। अफजल खान ने शिवाजी को गले लगाकर उनकी पीठ पर वार करना चाहा परन्तु शिवाजी ने सतर्कता बरती और तुरंत उस पर बाघनख हथियार से पीठ पर वार कर दिया, अफजल खां को घायल देख कर उसके वकील ने शिवाजी पर हमला कर दिया और अफजल खां मौके का फायदा उठाकर भागने लगा। शिवाजी ने भाग कर उसका पीछा किया और पकड़कर अपने से बलिष्ठ अफजल खान को उसी की छावनी में इतनी बहादुरी से मार डाला। धन्य है वो माता जीजाबाई जिनकी कोख से शेर के कलेजे जैसा वीरपुत्र जना। शिवाजी के हाथों अफजल का ये वध आपको भगवान नृसिंह की याद दिला देता है जिन्होंने हिरण्य कश्यप नाम के राक्षस का वध किया था। शिवाजी महाराज अफजल के मंसूबे से भली भांति परिचित थे इसलिए उन्होंने अपने नाखूनों में बाघ के नाखूनों से बना हथियार पहन कर मिलने गए थे। इसके बाद उन्होंने अफजल खां का सिर काटकर अपनी मां जीजाबाई के पास ले गए फिर उन्होंने अफजल खां का ससम्मान मुस्लिम रीति रिवाजों से अंतिम संस्कार कर दिया और कहा कि अफजल खान मेरा दुश्मन था और इसकी मृत्यु के साथ ही मेरी दुश्मनी भी खत्म हो गई।
2. गुरिल्ला युद्ध में दक्षता
छत्रपति शिवाजी महाराज को महाराणा प्रताप की तरह ही गुरिल्ला युद्ध प्रणाली में महारत हासिल थी। उनकी इस युद्ध प्रणाली से प्रेरित होकर वियतनाम ने अमेरिका के खिलाफ युद्ध लड़कर जीत लिया। एक तरफ जहां महाराणा प्रताप और शिवाजी महाराज के स्वाधीनता की प्रेरणा वियतनाम के सैनिकों में प्राण भर देती थी वहीं दूसरी और उनके युद्ध कौशल और गुरिल्ला युद्ध प्रणालियों से प्रभावित होकर वैश्विक महाशक्ति अमेरिका से 30 साल तक चले लंबे युद्ध में विजय प्राप्त कर ली।
3. नारीशक्ति के उपासक
शिवाजी महाराज तलवार के साथ साथ चरित्र के भी धनी थे। उनके राज्य में महिलाओं को विशिष्ट सम्मान प्राप्त था। वे दूसरी महिलाओं को अपनी माता के समान मानते थे। उनकी यह चारित्रिक उज्ज्वलता उनकी माता जीजा बाई द्वारा दी गई शास्त्र और हिंदुधार्मिक कथाओं की शिक्षा का ही परिणाम थी। एक बार उनके किसी सेनापति ने कल्याण किला जीतकर वहां की एक अतिसुंदर और जवान युवती को शिवाजी महाराज के पास ले आया ये सोचकर कि वे खुश होंगे, परंतु शिवाजी महाराज ने उस सेनापति को खूब लताड़ा और उस मुस्लिम स्त्री से क्षमा मांगी और उसे वापस ससम्मान पालकी में बिठाकर कल्याण किले के किलेदार को लौटाने को कहा।
4. महान कूटनीतिज्ञ
नियम और उसूलों के पक्के होने के बावजूद छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान कूटनीतिज्ञ थे। वे भारतीय इतिहास के सबसे महान कूटनीतिज्ञ एवम अर्थशास्त्री चाणक्य से काफी प्रभावित थे। एक बार बीजापुर के सुल्तान ने छत्रपति शिवाजी महाराज के पिता शाहजी राजे को बंदी बना लिया था तब शिवाजी ने कूटनीति का सहारा लेकर पहले बीजापुर के सुल्तान से संधि कर के पिता को छुड़वा लिया और बाद में बीजापुर पर आक्रमण करके सुल्तान को मौत के घाट उतार दिया।
5. धर्म निरपेक्ष शासक
शिवाजी महाराज पर हमेशा मुस्लिम विरोधी होने का आरोप लगता रहता है परंतु ये बिलकुल भी सत्य नहीं है। शिवाजी महाराज ने कभी किसी मत, पंथ, जाति, धर्म और संप्रदाय में किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया। उनकी 1.5 लाख की सेना में तकरीबन 65000 मुस्लिम सिपाही और सेनापति थे। शिवाजी का सारा संघर्ष उस कट्टरता और उद्दंडता के विरुद्ध था, जिसे औरंगजेब जैसे शासकों और उसकी छत्रछाया में पलने वाले लोगों ने अपना रखा था।
6. प्राचीन एवम् धार्मिक संस्कृति के संरक्षक
शिवाजी ने जब 1674 में हिंदवी स्वराज की स्थापना की तब तक भारत में फारसी भाषा का प्रचलन ज्यादा था और मुस्लिम शासकों द्वारा जबरदस्ती थोपी जा रही थी। इसके बावजूद शिवाजी महाराज ने संस्कृत और मराठी को अपनी राजकीय भाषा घोषित किया और सारे काम इन्ही भाषा में करवाते थे। उनका मानना था कि अपनी भाषा के प्रचलन में आने से कामयाबी की संभावनाएं बढ़ जाती है और विकास का काम तेजी से एवम सुगमता से आगे बढ़ता है। इसका उन्होंने प्रत्यक्ष उदाहरण भी दिया था। जब शिवाजी को औरंगजेब ने आगरा में नजरबंद किया तो उनकी सेवा में लगे सेवादारों से वे मराठी और संस्कृत में ही संवाद करते थे जिन्हे मुस्लिम सिपाही और कर्मचारी समझ नही पाते थे और शिवाजी महाराज बचकर निकलने में कामयाब हो गए। उन्होंने अपने शासन काल में कई मंदिरों का निर्माण करवाया और अनेकों मंदिरों को संरक्षित किया।
7. मात्र 10 वर्ष की आयु में गौमाता के लिए काट दिया कसाई का सिर
शिवाजी महाराज एक महान हिन्दू शासक के साथ साथ एक महान गौभक्त भी थे। मुस्लिम शासन काल में असंख्य मंदिर तोड़े जा रहे थे, हिंदुओ का कत्लेआम और गौ हत्या चरम पर थी। कसाई खुल्लेआम बाजार में गाय को काटते थे पर कोई हिंदू डर के मारे कुछ नहीं बोलता था। एक बार शिवाजी महाराज अपने पिता के साथ बाजार से होकर कहीं जा रहे थे तब एक कसाई गौ माता को काटने के लिए घसीट कर लेकर जा रहा था यह देखते ही शिवाजी का खून खोल उठा और उन्होंने तलवार निकाल कर पहले गाय की रस्सी काट कर गाय को बंधन से मुक्त किया फिर कसाई का सिर धड़ से अलग कर दिया। उनकी इस बहादुरी ने वहां खड़े लोगो में एक नई ऊर्जा का संचार कर दिया।
हर हर महादेव के युद्धघोष के साथ कश्मीर से कन्याकुमारी तक भगवा 🚩 लहराने का सपना देखने वाले Chhatrapati Shivaji Maharaj हमेशा अजेय रहे। उन्होंने अपने अनेकों युद्ध में मुगलों को नाकों चने चबवाया। बुराई और अत्याचार के खिलाफ निडर होकर हमेशा ढाल बनकर खड़े रहे। आजादी के समय बाल गंगाधर तिलक, ज्योतिबा फूले, और वीर सावरकर एवम लाखों स्वतंत्रता सेनानियों के प्रेरणा स्रोत बने। उनके विचारों ने नवयुवकों के दिलों में एक नई ऊर्जा का संचार किया जिसके बलबूते स्वराज का सपना साकार हो सका। 3 अप्रैल 1680 को शिवाजी महाराज एक बीमारी के चलते पंचतत्व में विलीन हो गए। परंतु वे आज भी है, हमारे दिलों में, हमारे विचारों में , उगते हुए सूर्य में, हर हर महादेव के उद्घोष में, भारत राष्ट्र की हवा में, इस देश के सिपाही में। शिवाजी महाराज सदा सदा के लिए अमर हैं। Chhatrapti Shivaji Maharaj Jayanti पर भारत माता के वीर पुत्र को सादर नमन करता हूं।
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